शनिवार, 6 अगस्त 2022

379-अधूरी नींद

 डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री'


6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह्ह!!! अनुपम सृजन आद. कविता जी... 🌹🙏

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  2. तो फिर मैं कुछ अच्छा कर लूँ
    जग की स्मित नयनों में भर लूँ।

    बहुत ही सुंदर।

    परकल्याण की कामना करती, जगत के सुख को ही सर्वोपरि मान उस सुख को अपनी आँखों में भरने की चाह रखती उदारवादी कविता।

    निश्चय ही ऐसा काव्य न केवल पढ़े जाने की आवश्यकता है, बल्कि इसमें अंतर्निहित भाव को दृढ़तापूर्वक अपने मन, मस्तिष्क में धारण करना आवश्यक है ताकि आज के स्वार्थपरक होते जा रहे युग में हमारे मानसिक विचार सही दिशा में विस्तार पा सकें, जीवन के वास्तविक उद्देश्य से परिचित हम हो सकें।

    उत्कृष्ट सृजन हेतु आपकी लेखनी को सादर वंदन 🙏

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  3. उत्कृष्ट कविता। बहुत गहन भाव।

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  4. अति सुंदर कविता। बधाई आदरणीया

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