गुरुवार, 16 दिसंबर 2021

300-अब अरुणोदय होगा

 डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
















उसने कुटिल मुस्कान के साथ कहा,

मैं तो राहु हूँ- तुम्हें ग्रास बना लूँगा।

मैंने मंद मुस्कान सहित निर्भीक कहा-

मैं तो सूरज हूँ - कालिमा निगलता हूँ

 

तनिक सोच- भौहें नचाकर उसने कहा,

केतु हूँ मैं- तुम्हारा तेज तो हर ही लूँगा।

मैं चंदा हूँ - मैंने प्रसन्न मुद्रा में कहा,

कलाओं में निपुण- उगता चलता हूँ

 

नए रूप धर, धमकाता वह आजकल

और मैं उन्मुक्त, उषा के अंक में पड़ा हूँ

अब अरुणोदय होगा - कुछ क्षणों में ही

मेरे साथ समग्र विश्व हँसेगा- उसे हराकर।

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14 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रचना, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  2. अब अरुणोदय होगा कुछ ही क्षणों में...
    बहुत ही सुन्दर सरस कविता।

    हार्दिक बधाई आदरणीया दीदी 🌷💐

    सादर🙏🏻

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  3. अनुपम आशावादी भाव की आभा बिखेरती 'अब अरुणोदय होगा'कविता।
    पुन: हार्दिक बधाई।

    सादर🙏🏻

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  4. प्रेरक कविता। हमारे जीवन में बाधाएँ आती रहती हैं, लेकिन हमें सूरज और चन्द्रमा की तरह निरन्तर अपने पथ पर अग्रसर रहना चाहिए। आपका सृजन -कार्य ऐसे ही चलता रहे।

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  5. अरुणोदय की तरह ही सकारात्मक सोच की किरणें बिखेरती सुंदर कविता। हार्दिक बधाई कविता जी।

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  6. अप्रतिम रचना ... हार्दिक बधाई कविता जी।

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  7. कविता बेटी ! युग -युग जियो उन्नत कर भाल,
    तुम जो लिखती हो सच्चे मन से बहुत ऊंचे हैं तुम्हारे ख्याल ||
    तुम्हारी लेखनी में एक जादू है| पढकर मन तृप्त हो गया |श्याम हिन्दी चेतना

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  8. बहुत सुंदर भाव।हार्दिक बधाई।

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  9. सकारात्मक कविता है कविता जी की हार्दिक बधाई |

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  10. अत्यंत सुंदर भावपूर्ण यथार्थ सृजन.... वाह्ह 🙏🌹

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  11. बहुत ओजपूर्ण और आत्मविश्वास से लबरेज कविता है, मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें

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  12. बहुत सुन्दर रचना ... हार्दिक बधाई कविता जी।

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