बुधवार, 19 मई 2021

238-ज़िन्दगी की कवायद

 प्रो. इन्दु पाण्डेय खण्डूड़ी

 

जब चारों ओर,

मौत की दहशत पसरी है,


सुबह
- सुबह ही,

सूरज की लालिमा में,

चिताओं की धुआँ,

अपनी कालिमा ले उड़ती है,

फिर धू-धू की लपटों के साथ,

एक अस्तित्त्व भस्मीभूत कर देती है।

धीरे- धीरे मौत का दर्द

दुखी होने का अवसर कहाँ देता है।

एक के बाद एक,

पूरा परिवार महामारी में खत्म हो जाता है।

अख़बार में एक ओर,

मौत के आँकड़े, लाशों और चिताओं की

दिल दहलाने वाली तस्वीरें,

और इन सबके बीच एक नसीहत

दुःख और अवसाद से बाहर निकल 

जैसे भी हो खुश रहना और इसके साथ ही 

मौत के सिलसिले में 

बेमन से ज़िन्दगी जीने की 

कवायद इंसान करने लगता है।

-0-

1-नैनों की भाषा

 

 नैनों की भाषा लिपि में बदल न सकी,

वह पीड़ा शब्दों में कभी ढल न सकी।

 

पहाड़ी नदी जाती तो है दूर बहकर,

सागर में, बदली उड़ती वाष्प बनकर।

 

फिर पहाड़ पर पानी बन बरसना ,

और बर्फ बन चोटियों पर जमना ।

 

पत्थरों से घर्षण और पीड़ा बहने की,

वाष्पीकरण की प्रतीक्षा- दूर रहने की।

 

समझे भाषा नदी की, न पर्वत न सागर

स्वयं ही समझे नदी अपने भीगे आखर।

-0- डॉ .कविता भट्ट, श्रीनगर ( उत्तराखण्ड)

-0-

 

2- वश में है

 

तुमने फूल खिलाए

ताकि खुशबू बिखरे

हथेलियों मे रंग रचें ।

तुमने पत्थर तराशे

ताकि प्रतिष्ठित कर सको

सबके दिल में एक देवता ।

तुमने पहाड़ तोड़कर

बनाई एक पगडण्डी

ताकि लोग मीठी झील तक

जा सकें

नीर का स्वाद चखें

प्यास बुझा सकें ।

तुमने सूरज से माँगा उजाला

और जड़ दिया एक चुम्बन

कि हर बचपन खिलखिला सके

यह तुम्हारे वश में है ।

लोग काँटे उगाएँगे

रास्ते मे बिछाएँगे

लहूलुहान कदमों को देखकर

मुस्कराएँगे ।

पत्थर उछालेंगे

अपनी कुत्सित भावनाओं के

उन्हें ही रात दिन

दिल में बिछाकर

कारागार बनाएँगे ।

पहाड़ को तोड़ेंगे

और एक पगडण्डी

पाताल से जोड़ेंगे

कि जो जाएँ

वापस न आएँ।

सूरज से माँगेगे आग

और किसी का घर जलाएँगे ।

यह उनके वश में है ।

यह उनकी प्रवृत्ति है

वह तुम्हारे वश में है । 

-0- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ , नई दिल्ली

 

4 टिप्‍पणियां:

  1. मर्मस्पर्शी,भावपूर्ण,प्रेरणादायी कविताएँ। आप तीनों को हार्दिक बधाई।

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  2. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचनाएँ... एक से बढ़कर एक!
    तीनों रचनाकारों को हृदय से बधाई।

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  3. इन्दू जी को उनकी सामयिक कविता के लिए बधाई |
    आपकी भावपूर्ण कविता के लिए ढेरों बधाई |
    आदरणीय काम्बोज जी की बेहतरीन कविता के लिए उनको हार्दिक बधाई |

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