सोमवार, 17 मई 2021

234-हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे

 

निर्मला भट्ट ( रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड)

 

हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे, तू धन्य है जगत प्रिये !


सर्वस्व जग पूजे तुझे
, तू  विश्व को रोशन किए।

चरणों मे रखकर सिर तेरेनित करते रहे वंदन तेरा।

हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे, तू धन्य है जगत प्रिये !

माँ तूने हमे जीवन दिया, स्नेह से पोषित किया।

आँचल की ठंडी छांव देकर, तूने हमे तोषित किया।

तेरी परछाई मात्र से, संकट जगत के सब टले।


हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे
, तू धन्य है जगत प्रिये !

तू आदि शक्ति अनंत है, अखिल विश्व को जगमग किए।

तू स्वच्छ सरितामयी अमृत, धार बनकरके बहे।

तू दिव्य पुष्पितपुंज है, इस सृष्टि को सिंचित किए।

हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे, तू धन्य है जगत प्रिये !

तू घोर संकट काल में, मानो कवच बनकर  रहे।

काल के महाकाल से तू, ढाल बनकरके लड़े।

तेरी अगम्य शक्ति से, महाकाल भी डरकर गिरे।

हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे, तू धन्य है जगत प्रिये !

हम शब्द हैं , तू अर्थ है, तेरे बिना सब व्यर्थ है।

तू है तो जीवन समर्थ है, तेरे बिना सब असमर्थ है

कैसे भुला दें उपकार तेरा, हे मेरी करुणानिधे !

सर्वस्व जग पूजे तुझे, तू विश्व को रोशन किए।

हे मातृ शक्ति ! नमन तुझे,तू धन्य है जगत प्रिये !

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6 टिप्‍पणियां:

  1. जिस निर्मल हृदय से आपने मातृभूमि को संबोधित किया है आपके हृदय की धडकनें छलकती हैं | हर शब्द एक कहानी है |हर भाव एक निशानी है | बहुत ही सारगर्भित हृदय स्पर्शी रचना है | आपको विशेष बधाई | श्याम हिन्दी चेतना

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  2. हे मातृशक्ति!नमनं तुभ्यं,त्वं धन्यासि जगत्प्रिये!🌹

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  3. सुंदर रचना।बधाई निर्मला जी।

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  4. बहुत सुंदर व भावपूर्ण रचना । हार्दिक बधाई निर्मला जी।

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  5. एक अच्छी रचना के लिए बहुत बधाई निर्मला जी को

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