शनिवार, 24 अप्रैल 2021

220-मन का द्वार

 गढ़वाली  में अनुवाद :  ,डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री'

1-सुदर्शन रत्नाकर

1


स्वर्ण कलश 

सजा आसमान में 

भोर हुई तो।

 

सोना कु घौड़ू

सजी ग्याई द्योरा माँ

बिन्सरी ह्वे त

2

चाँदनी रात 

खिली मधुमालती 

दूध-केसर।

 

जुनाळि रात

खिली मधुमाळती

दूध -केसर

3

तुहिन कण 

गिरते दूब पर 

ज्यों मोती बन।

 

ओंसा क बुन्द

दुबला माँ पड़िन

मोती बणिन

4

ताल सज़ा है 

खिले लाल कमल 

छुपा है जल।

 

ताल सज्यूँ च

खिल्यन लाल कौंळ

लुक्यूँ च पाणी

5

अम्बर थाल 

ओढ़े चाँदनी शाल 

धरा मुस्काई

 

द्योरै थकुली

ओढ़ि जुनाळि पाँख्लु

पिर्थी हैंसी गे

6

रात रोई थी 

धरती ने समेटे 

उसके आँसू।

 

रात रूणि छै

पिर्थी न समोख्यन

वीं का इ आँसु

7

रास्ता है देती 

दूब सिर झुकाती 

मिट न पाती।

 

बाठु च देणु

दुब्लू सीस झुकौंदु

मिटदु नि च

8

धरा ने ओढ़ी 

ज्यों पीली चुनरिया 

सरसों खिली।

 

पिर्थी न ओढ़ि

जन पिंगळी चुन्नी

लय्या खिली गे

9

धूप ज्यों सोना 

खिला अमलतास 

मेरे अँगना।

 

घाम सोनु सि

खिली अमलतास

म्यारा चौक माँ

10

चुप खड़े हैं।

ढाक-अमलतास 

रोके ज्यों साँस।

 

चुप्प खड़न

पलास अमल्तास

रोकी कैं साँस

11

सिन्धु लहरें 

करें अठखेलियाँ 

चाँद बुलाए

 

समोद्री लैर

कन्नीन खेल बोल

जून बुलौणि

12

सागर जल

दूर तक विस्तार

फिर  भी प्यास।

 

समोद्र पाणी

दूर तकैं फैलास

फीर बी तीस

-0-

2-नन्दा पाण्डेय

1.


मन का द्वार

बन स्मृति उत्सव

खींचता ध्यान

 

मन कु द्वार

बणि खुदौ तिवार

खैंचदु ध्यान

2

याद तुम्हारी

प्रतिपल नूतन

स्पंदन रत

 

खुद तुमारी

घड़ि-घड़ि नैं बल

गिडारु जन्न

3

बच्चों की आँखें

खोजती रही चाँद

नींद माँगते

 

बाळौ का आँखा

खुजौणा रैं जून

निन्द माँगणा

-0-

 

5 टिप्‍पणियां:

  1. प्रायः हाइकु के अनुवाद की जो कुछ दशक पहले चर्चा की जाती थी , वह अनुवाद ज़रूर था ; लेकिन हाइकु का हाइकु में अनुवाद नहीं था । व्यापक रूप से इसको सही अनुवाद का रूप दिया रचना श्रीवास्तव ने अपने अवधी और और कुँवर दिनेश जी ने अंग्रेज़ी से हिन्दी और हिन्दी से अंग्रेज़ी अनुवाद के द्वारा। इसी शृंखला को डॉ कविता भट्ट आगे बढ़ाकर अनुवाद-कार्य को समृद्ध कर रही हैं। जहाँ तक मैं समझ सका हूँ -गढ़वाली अनुवाद भी हिन्दी हाइकु की तरह समान रूप से मधुर और भावपूर्ण हैं। आशा करता हूँ कि अन्य हाइकुकारों के अनुवाद भी इस ब्लॉग में पढ़ने का अवसर मिलेगा।

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  2. डॉ कविता भट्ट जी द्वारा मेरे हिन्दी हाइकुओं का गढ़वाली में अनुवाद बहुत सुंदर और मधुर है। आपका हार्दिक आभार कविता जी।।

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  3. गढवाली भाषा में रचित रचनाएं उनमें जो भाशा की मिठास और सरसता देखी मन वहीं पहाड़ियों पर पहुंच गया और हिन्दी में इतना सुंदर अनुवाद देखकर मन मोहित हो गया | बहुत ही सुंदर भाव हैं |श्याम हिन्दी चेतना

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  4. हाइकु और उनका अनुवाद,दोनों ही लाजवाब।
    आदरणीय रत्नाकर दीदी,नंदा पाण्डेय जी एवँ प्रिय कविता जी को हार्दिक बधाई।

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  5. बहुत सुन्दर हाइकु और बहुत ही सुंदर अनुवाद।
    हार्दिक बधाई।

    सादर

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